जानिए पुष्पकर मेले के बारे में (Know About Pushkar Mela)
राजस्थान में लगने वाले पुष्कर मेला के बारे में कौन नही जानता जोकि विशेष कर ऊंट मेले के नाम से जाना जाता है।राजस्थान के अजमेर शहर से 14किलो मीटर की दुरी पर स्थित पुष्कर शहर विश्वविख्यात पुष्कर मेले के लिए प्रसिद्ध है। पुष्कर ही एकमात्र ऐसा पवित्र स्थान है जहां पर भगवान ब्रम्हा की पूजा होती है। पुष्कर मेला भारत का सबसे प्रसिद्ध और इसके साथ साथ सबसे पुराने मेले के रूप में भी जाना जाता है। यह मेला रेत के विशाल मैदान में लगाया जाता है।
पुष्कर मेले का इतिहास:-
पुष्कर मेले का इतिहास कई सदियों पुराना है। पुष्कर को भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक माना जाता है और हिंदू पौराणिक कथाओं में इसका बहुत महत्व है। पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रह्मांड के निर्माता भगवान ब्रह्मा ने पुष्कर में एक कमल का फूल गिराया, जिससे पवित्र पुष्कर झील का निर्माण हुआ
पुष्कर मेला क्यों प्रसिद्ध है? Pushkar Mela Is Famous For:-
पुष्कर मेला जिसे मुख्य रूप से ऊंट तथा पशुओं का मेला (Pushkar Camel Fair) के नाम से भी जाना जाता है यह एक प्रकार का पशुधन मेला है क्योंकि पुष्कर मेले में पशुओं का व्यापर होता है जिसमें ऊंट,घोड़े भेड़,बकरी,गाय शामिल है। इस मेले में पशुओं से सम्बंधित विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम तथा प्रतियोगिता करवाई जाती है जिसमे उच्च नस्ल के पशुओं को पुरस्कृत किया जाता है। पहले ऊँटो को सजाया जाता है। इसमें ऊँटो को चांदी और मोतियों के गहनों से सजाया जाता है । सजे हुए ऊँटो को देख कर मन को बहुत खुशी होती है। सजे हुए ऊंटों द्वारा परेड की जाती है जो की एक बहुत सुंदर दॄश्य लगता है।
इसके बाद पुष्कर मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यहाँ अनेक प्रकार की दुकाने, स्टाल लगाए जाते है। आसपास के लोगो द्वारा राजस्थानी हेंडीक्राफ्ट चीज़ों का प्रदर्शन किया जाता है। इस मेले में अनेक फोटोग्राफर पहुंचते है जोकि इस मेले के सुंदर दॄश्यों को अपने कैमरे में कैद करते है। देश विदेश से से अनेक पर्यटक इस मेले में आकर इस भारतीय सांस्कृतिक मेले का आनंद उठाते है।
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पुष्कर मेले का मुख्य आकर्षण:-
- पुष्कर मेले का एक मुख्य आकर्षण “ऊंट सौंदर्य प्रतियोगिता” है जहां ऊंटों को रंगीन सजावट से सजाया जाता है, और सबसे सुंदर ढंग से सजाए गए ऊंट को चुनने के लिए एक सौंदर्य प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।
- यह दुनिया के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध ऊँट मेलों में से एक है। यह मेला मुख्य रूप से ऊंटों और अन्य पशुओं की खरीद-फरोख्त के लिए जाना जाता है.
- पुष्कर मेला हिंदुओं के लिए एक पवित्र शहर है, यह मेला कार्तिक पूर्णिमा (पूर्णिमा) त्योहार के साथ मेल खाता है, जो इसे एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन बनाता है।
- इस मेले में पर्यटक लोक संगीत और नृत्य, ऊंट दौड़ और पारंपरिक राजस्थानी पोशाक सहित विभिन्न सांस्कृतिक प्रदर्शनों का आनंद ले सकते हैं।
- पुष्कर मेले में एक विशाल बाजार है जहां आप हस्तशिल्प, कपड़ा, आभूषण और अन्य पारंपरिक राजस्थानी वस्तुओं सहित उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला की खरीदारी कर सकते हैं।
इस मेले के दौरान लगने वाले फूड स्टॉल और रेस्तरां में विभिन्न प्रकार के राजस्थानी और उत्तर भारतीय व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं। - इस मेले में हॉट एयर बैलून की सवारी मेले में एक लोकप्रिय आकर्षण बन गई है
- यह मेला दुनिया भर से फोटोग्राफरों और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
pushkar camel fair |
पुष्कर मेला मुख्यत: तीन चरणों में होता है।
- पहले चरण में ऊँटो को सजाया जाता है।
- दूसरे चरण में सांस्कृतिक कार्यक्रम होते है।
- आखिरी चरण में लोग हेंडीक्राफ्ट चीज़ो का प्रदर्शन करते है।
पुष्कर मेले की कुछ खास प्रतियोगिताए:-
- मटका फोड़
- सबसे लम्बी मूंछे
- ऊंट की सजावट
- पतंगबाजी
- दुल्हन प्रतियोगिता
- ऊंटों की दौड़ तथा परेड
गर्म गुब्बारे में सवारी का आनन्द:-
गर्म गुब्बारे |
अगर आप पुष्कर मेले का आनंद आसमान से लेना चाहते हो तो इसके लिए आप गर्म गुब्बारे की सवारी कर के ले सकते है। गर्म गुब्बारे की सवारी के साथ-साथ पुष्कर मेला देखना एक अदभुत नज़ारा देखने जैसा है। मेला देखने व घूमने के लिए आप ऊंट भी किराये पर ले सकते है।
कब लगता है पुष्कर मेला :-
पुष्कर मेला जिसे स्थानीय रूप से कार्तिक मेला भी कहा जाता है। पुष्कर मेला एक वार्षिक बहु – दिवसीय मेला है , जोकि कार्तिक शुक्ल एकादशी महीने में शुरू होता है तथा कार्तिक पूर्णिमा पर समाप्त हो जाता है। यह मेला अक्टूबर के अंत और नवंबर के शुरुआती दिनों तक चलता है। इस साल पुष्कर मेला सोमवार, 20 नवंबर, 2023 – मंगलवार, 28 नवंबर, 2023 तक चलेगा।
जानिए आखिर क्यों पुष्कर में ही ब्रह्मा जी की पूजा होती है।
मान्यता है की संसार की भलाई के लिए भगवान ब्रह्मा ने यज्ञ करने का फैसला किया। ब्रह्मा और उनकी पत्नी दोनों के साथ होने से ही यज्ञ पूरा हो सकता था। यज्ञ करने के लिए ब्रह्मा जी पुष्कर पहुँच गए , परन्तु उनकी पत्नी सावित्री किसी कारणवंश समय से यज्ञ में नहीं पहुँच सकी। ब्रह्मा जी ने यज्ञ पूरा करने के लिए गुर्जर समुदाय की कन्या से विवाह कर लिया और यज्ञ शुरू कर दिया।
इसी दौरान ब्रह्मा जी की पत्नी देवी सावित्री भी वहां पहुंच गई और उस कन्या को देख कर क्रोधित हो उठी। देवी सावित्री बहुत क्रोध में थी , देवी सावित्री के क्रोध को देखकर सभी भी देवता डर गए। देवी सावित्री ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया की देवता होने के बावजूद भी, कभी आपकी पूजा नहीं होगी। सभी देवताओं ने देवी से प्रार्थना की कि अपना श्राप वापिस ले लीजिये , परन्तु उनका क्रोध इतना था कि उन्होंने किसी की भी नही सुनी। जब देवी सावित्री का गुस्सा ठंडा हुआ तो उन्होंने कहा की आपकी पूजा सिर्फ पुरे संसार में पुष्कर में ही होगी। यही कारण है कि पुरे संसार में ब्रह्मा जी का एक ही मंदिर Pushkar Bramha Temple है।
पुष्कर झील Pushkar lake: –
पुरे संसार में ब्रह्मा का एक ही मंदिर जो के पुष्कर में है इस मंदिर के साथ ही एक झील भी है जिसे पुष्कर झील के नाम से जाना जाता है ,पुष्कर झील PUSHKAR LAKE हिन्दुओं की पवित्र झील है जिसे तीर्थराज भी कहा जाता है यह झील अपने आप में अनोखी है , मान्यता यह है यह झील उतने ही पुराने है जितनी की सृष्टि पुष्कर झील हिन्दुओ का पवित्र स्थल है। माना जाता है कि इस स्थल पर ब्रह्मा ने कमल को छोड़ दिया था , तभी यह झील बनी थी। पुष्कर झील( Pushkar lake) के आसपास 500 से अधिक मंदिर और 52 घाट है।
इस पवित्र झील में स्नान से त्वचा सम्बन्धी रोग भी दूर होते है। एक और मान्यता यह है 10 वे सिख गुरु गोविन्द सिंह ने पुष्कर झेल के तट पर सिखों की पवित्र किताब गुरु ग्रन्थ साहिब पडी थी। कार्तिक के महीने में पुष्कर मेले के दौरान श्रदालु बड़े संख्या मे इकट्ठा होकर इस झील में डुबकी लगाते है। इस झील के पवित्र जल से स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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An informative post indeed! I have learnt about the rich history of Pushkar. I will be visiting Ajmer with my friends in a few days. Will surely spare a day or two to be a part of Pushkar camel fair 2019 and watch the magnificent ship of the desert.
Thnku sir